दिवाली…
मात्र एक मात्रा के फर्क से
होती है दिवाली
हटी जो मात्रा, तो यह किस्सा हो गया
किसी की दीवाली हो गई
किसी का दीवाला हो गया
मात्रा भी तो यह कोई आम नही है
इक छत सी रहती है अक्षर पर
छत हो जैसे किसी के सर पर
छत हटी तो मैं बेसहारा हो गया
किसी की दीवाली हो गई, तो
किसी का दीवाला हो गया
खेल मात्राओं का ही तो है ये जीवन
मात्रा हटी तो,
वो जो पिता था
सिर्फ एक पता रह गया
मात्रा से फिर एक किस्सा हो गया
किसी की दीवाली हो गई, और
किसी का दीवाला हो गया ।।।
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