जरा झांक अपने दिल में…
इश्क खुद से ना किया
तो किसी और से मोहब्बत क्या होगी
मेरी बातें जो समझ ना पाई
मेरी खामोशी उसे क्या समझ आई होगी
मसला दरअसल यह समझने का ही तो है
मोहब्बत क्या है
वह जो सब ने बताया है
या वह …
जिसका एहसास तुमने कराया है
मामला जज्बाती है यह
कायम एक सा नहीं रहता है
उम्र के हर मोड़ पर
एहसास यह बदलता चला जाता है
समझो तो…. हर पल यही मोहब्बत है
ना समझो…. तो रिश्ता है यह कांच सा
ठोकर कि इसे दरकार नहीं
जरा सी आंच से ही टूट जाता है
तो प्यार के इस दिन
जब तोहफे… हर तरफ
हर कोई… बांट रहा है
जरा देख अपने दिल में
जरा सा, मैं भी… मुझ में झांकता हूं
प्यार को का रास्ता
बाहर ढूंढ रहे हैं हम
अंदर ही ना मिल जाए कहीं
इश्क शुरू हुआ था जहां से
वापस वही ना मिल जाए कहीं
इश्क शुरू हुआ था जहां से
वापस वही ना मिल जाए कहीं…
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Zara Jhaankh Apne Dil Mein
Ishq khud se na kiya
Toh kisi aur se mohabat kya hogi
Meri baaten jo samajh na paayi
Meri khamoshi usse kya samajh aayi hogi
Masla darassal ye samajhne ka hi toh hai
Mohabat kya hai, woh jo sab ne bataya
Ya woh jiska ehsaas tumne karaya hai
Muamla jazbaati hai ye,
kayam ek sa nahi rehta hai
umr ke har mod par
Ehsaas ye badalta chala jata hai
Samjho toh har pal yehi mohabat hai
Na samjho toh
Rishta hai ye kaanch sa
Thokar ki ise darkar nahi
Zara si aanch se hi toot jata hai
Toh pyar ke iss din
Jab tohfe har taraf har koi baant raha hai
Zara dekh apne dil mein
Zara sa main bhi mujh mein jhaankta hoon
Pyar ko rasta bahar dhoondh rahe hain hum
Andar hi na mil jaaye kahin
Ishq shuru hua tha jahan se
Wapas wahin na mil jaaye kahin…
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